राजनीतिक

BJP-JDU की सियासी रणनीति: पहले चिराग, मांझी और कुशवाहा की सीट फिक्स, फिर बचे हुए हलकों का बंटवारा

पटना 
बात-मुलाकात से सीटों पर समझौता नहीं होता देख भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने सीट शेयरिंग की रणनीति बदल ली है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दलों के नेताओं चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को मनाने का काम भाजपा को दिया है। बीजेपी और जेडीयू की अब रणनीति है कि पहले चिराग, मांझी और कुशवाहा की सीट तय कर ली जाए और फिर बची सीटों को भाजपा और जदयू आपस में बांट ले। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों दल 100 से कम सीट लड़ना चाहते हैं। तीनों नेताओं ने कुल 75 सीटें मांगी हैं, जिन्हें समझाने-मनाने में धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े, नित्यानंद राय, मंगल पांडेय और सम्राट चौधरी मिशन मोड में जुटे हैं।

सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार की पार्टी ने भाजपा से कहा है कि पहले वो सहयोगी दलों के मसले सुलझा ले, फिर वो दोनों सीट बांट लेंगे। दोनों के बीच इस बात पर सहमति है कि बची हुई सीटों में दोनों आधा-आधा रख लेंगे। जदयू की चाहत है कि वो भाजपा से कम से कम एक सीट ज्यादा लड़े। चिराग, मांझी और कुशवाहा के तेवर ने नीतीश और बीजेपी को नई रणनीति बनाने के लिए मजबूर किया है। अब दोनों प्रमुख दल सहयोगियों का मामला पहले निपटा लेंगे, तब वो अपनी-अपनी देखेंगे।

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चिराग पासवान की लोजपा-आर 40 सीट, उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 20 सीट और जीतन राम मांझी की हम 15 सीट मांग रही है। बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की इन नेताओं से पहले राउंड की बातचीत में कोई नीचे उतरने को तैयार नहीं है। तीनों नेता अपनी-अपनी सीटों की डिमांड पर अड़े हुए हैं जो नंबर 75 हो जाता है। सबकी बात मान ली जाए तो 168 सीटें बचती हैं, जिसमें जेडीयू या बीजेपी का गुजारा नहीं होगा। दोनों दलों ने 101-103 सीटें लड़ने का टारगेट बना रखा है। कोशिश है कि 38-40 सीट में तीनों सहयोगी दलों को मना लिया जाए।

 

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