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नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली पुलिस ने डी.के. शिवकुमार को भेजा नोटिस, मांगी ट्रांजैक्शन डिटेल्स

 नई दिल्ली
 दिल्ली पुलिस ने नेशनल हेराल्ड केस की जांच के तहत कर्नाटक के डिप्टी चीफ मिनिस्टर डी के शिवकुमार को नोटिस जारी किया है. पुलिस ने उनसे नेशनल हेराल्ड केस की जांच के तहत फाइनेंशियल और ट्रांजैक्शनल डिटेल्स मांगी हैं. इस बात की जानकारी खुद दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि शिवकुमार के पास इस साल 3 अक्टूबर को कांग्रेस लीडर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ रजिस्टर्ड नेशनल हेराल्ड केस से जुड़ी ज़रूरी जानकारी होने की बात कही गई है.

29 नवंबर को जारी किए गए नोटिस में, EOW ने शिवकुमार से 19 दिसंबर तक पेश होने या मांगी गई जानकारी देने को कहा है. इन्वेस्टिगेटर्स ने उनके पर्सनल बैकग्राउंड, कांग्रेस पार्टी से उनके जुड़ाव और उनके या उनसे जुड़ी एंटिटीज़ द्वारा यंग इंडियन को कथित तौर पर ट्रांसफर किए गए फंड्स का पूरा ब्योरा मांगा है.

कर्नाटक के डिप्टी चीफ मिनिस्टर के करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्हें BJP के साथ मिलकर न चलने के लिए टारगेट किया जा रहा है, और यह इस बात पर ज़ोर देता है कि वह कांग्रेस के लिए हिट झेलने वाले खास लीडर्स में से हैं. उन्होंने आगे कहा कि शिवकुमार कांग्रेस नेताओं में सबसे ज़्यादा सताए गए हैं, लेकिन BJP उन्हें तोड़ने में कामयाब नहीं होगी.

नोटिस में कहा गया है, 'आपको यह बताया जाता है कि EOW, दिल्ली पुलिस ऊपर बताए गए केस की FIR की जांच कर रही है और माना जा रहा है कि आपके पास ऊपर दिए गए केस के बारे में ज़रूरी जानकारी है.'

EOW के सवालों में शिवकुमार के बैंक ट्रांसफर का मकसद, इन फंड्स का सोर्स, उनके और यंग इंडियन या AICC (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) के अधिकारियों के बीच किसी भी बातचीत की डिटेल्स, क्या पेमेंट किसी के कहने पर किए गए थे, और क्या उन्हें फंड के इस्तेमाल के बारे में पता था, ये सब शामिल हैं.

पीटीआई के अनुसार, EOW ने इनकम टैक्स रिकॉर्ड, फाइनेंशियल स्टेटमेंट और पेमेंट के संबंध में जारी किए गए किसी भी डोनेशन सर्टिफिकेट के लिए भी कहा है.

नेशनल हेराल्ड केस, जो असल में BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी की 2013 की एक प्राइवेट शिकायत से शुरू हुआ था, उन आरोपों पर आधारित है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 988 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति यंग इंडियन ने 2010 में AICC से जुड़े एक ट्रांज़ैक्शन के ज़रिए 50 लाख रुपये में खरीदी थी.

EOW ने जो FIR एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की शिकायत के आधार पर दर्ज की है, उसमें AJL की संपत्ति यंग इंडियन को ट्रांसफर करने के संबंध में क्रिमिनल साज़िश, धोखाधड़ी और क्रिमिनल ब्रीच ऑफ़ ट्रस्ट का आरोप लगाया गया है. यंग इंडियन एक ऐसी कंपनी है जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कुल मिलाकर 76 परसेंट हिस्सेदारी है.

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