मध्य प्रदेश

कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2012 मामले में बड़ा फैसला, अभियुक्त दोषी ठहराए गए, सात साल तक की सजा

 ग्वालियर
 मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले से जुड़े एक और मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को सफलता मिली है। पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2012 में हुए प्रतिरूपण (इम्परसनेशन) के एक मामले में ग्वालियर स्थित विशेष सीबीआइ न्यायालय ने दो आरोपियों को दोषी करार देते हुए दो से सात साल तक की सजा सुनाई है।

सीबीआई के अनुसार, 8वें अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश (व्यापमं प्रकरण) ने रणवीर पुत्र चूरामन, हरवेंद्र सिंह चौहान उर्फ प्रवेंद्र कुमार पुत्र देवेंद्र को आपस में मिलीभगत कर आपराधिक षड़यंत्र रचने, धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और प्रतिरूपण के गंभीर अपराधों का दोषी पाया। न्यायालय ने आरोपियों को विभिन्न धाराओं में दो वर्ष से लेकर सात वर्ष तक का कठोर कारावास तथा जुर्माना की सज़ा सुनाई है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई को सौंपा गया था मामला

मामला वर्ष 2012 की पुलिस कांस्टेबल परीक्षा के दौरान हुई अनियमितताओं से जुड़ा है। थाना सिटी कोतवाली, मुरैना में केंद्र अधीक्षक बीएस परिहार ने परीक्षा में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने रणवीर सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जबकि प्रवेंद्र कुमार के मामले में जांच जारी थी। बाद में यह पूरा प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सीबीआई को सौंपा गया, जिसने जांच पूरी कर आरोपियों को अदालत में दोषसिद्ध कराया। इस फैसले को व्यापमं घोटाले की न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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