मध्य प्रदेश

ओबीसी आरक्षण केस में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को भेजा मामला, राज्य की परिस्थिति बेहतर समझेगा उच्च न्यायालय

भोपाल 

मध्य प्रदेश में 27% OBC आरक्षण के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने एक नई टीम बनाई है। सरकार ने सीनियर एडवोकेट और डीएमके सांसद पी विल्सन (senior advocate P Wilson) को हटाकर अब सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिए एक और टीम नियुक्त की है। पहले, विल्सन को सरकार की ओर से हर सुनवाई पर 5.5 लाख रुपए देने थे, क्योंकि वे OBC आरक्षण पर सरकार का पक्ष रख रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने टिप्पणी की है कि क्यों न इन मामलों को अंतिम बहस के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को वापस भेज दिया जाए। यह सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए एक बड़ी राहत है, जिनका प्रतिनिधित्व आज सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य सांघी ने किया। इसका अर्थ है कि ओबीसी आरक्षण पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 19/3/2019 को आशिता दुबे मामले में wp 5901/19 में दी गई ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर रोक जारी रहेगी।

मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षण के प्रकरणों को फिर बहस के लिए समय के लिए निवेदन किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रकरणों को 9 अक्टूबर को पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया ! सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य के 42 परसेंट रिजर्वेशन की याचिकाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि विधान सभा के बनाए गए कानून का उस राज्य की जनसंख्या,भूगोलिक,सामाजिक परिस्थितियों के अंतर्गत परीक्षण हाईकोर्ट करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समस्त अंतरिम आदेश वैकेट करके मामलो को हाईकोर्ट रिमांड करेंगे। ओबीसी वर्ग की ओर से पक्ष रखने वाले वरिष्ठ ओबीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व अन्य उपस्थित हुए।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मैटर को मेंशन किया। मेहता ने कहा- इसमें बहुत सारे टेक्निकल पक्ष हैं। इसलिए कहीं न कहीं इसकी सुनवाई में समय लग सकता है। इसके समाधान के लिए क्या तरीका निकाला जाए? क्यों न कुछ और तरह का सॉल्यूशन निकाला जाए।

कोर्ट ने कहा- और वक्त मांगेंगे तो दिक्कतें बढ़ेंगी इस पर कोर्ट ने कहा कि आप फिर वक्त मांगेंगे तो और समय जाएगा। दिक्कतें बढ़ेंगी। अगले हफ्ते दीवाली है, छुट्टियां हैं। कोर्ट ने कहा, हम ये चाहते हैं कि ये मैटर हाईकोर्ट के फैसले के बाद हमारे पास आए। सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन पहुंची हैं। इस मामले में हाईकोर्ट का कोई फैसला नहीं हैं।

छत्तीसगढ़ की तरह अंतरिम राहत दे सकता है SC सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस तरह छत्तीसगढ़ में अंतरिम लाभ दिया गया था। हो सकता है कि मप्र के मामले में भी अंतरिम राहत दे दें। इस पर याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई तो कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर जो उपयुक्त समाधान हो सकता है उस पर कल विवेचना करके सुनवाई करेंगे।

मामले को वापस हाईकोर्ट भी भेज सकता है सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप सभी लोग अपने पक्ष बताएं, हो सकता है कि अंतरिम लाभ दे दें या लाभ नहीं भी दें तो हम हाईकोर्ट को डायरेक्ट कर दें। कल आप सब लोग इस बात पर अपने तर्क दें कि इस मामले का कैसे जल्दी समाधान कर सकते हैं।

हम इस मामले को हाईकोर्ट भेज दें या अंतरिम राहत देकर हाईकोर्ट भेज दें। क्योंकि हाईकोर्ट को अपने राज्य के बारे में अच्छे से जानकारी होती है। ये रिजर्वेशन का मामला है, इसमें इंदिरा साहनी की कड़ी जरूर है लेकिन ये राज्य से संबंधित मामला है। इसलिए इस मामले में जो सबसे उपयुक्त समाधान हो सकता है उस पर कल सुनवाई करेंगे। कोर्ट ने कहा हम तो चाहते हैं कि कल इस मामले को निपटा ही दें।

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